वाशिंगटन, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने अमेजन के जंगलों में विश्व के सबसे छोटे बंदर के जीवाश्म का पता लगाया है। माना जा रहा है कि इसका वजन एक हम्सटर (चूहों की प्रजाति का जीव) के बराबर रहा होगा। अमेरिका की ड्यूक यूनिवर्सिटी और पेरू की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ पिउरा के शोधकर्ताओं की टीम को 18 मिलियन वर्ष (1.8 करोड़ वर्ष ) पुराने जीवाश्म के दांत मिले हैं, जो एक नई प्रजाति के छोटे बंदर से संबंधित है। ह्यूमन इवोल्यूशन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुए अध्ययन के मुताबिक, यह जीवाश्म अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसकी मदद से बंदरों के जीवाश्म रिकॉर्ड में 15 मिलियन (1.5 करोड़) वर्ष के अंतर को पाटा जा सकता है क्योंकि शोधकर्ताओं को बंदरों के इतने पुराने जीवाश्म नहीं मिले हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया कि यह जीवाश्म दक्षिण- पूर्वी पेरू में रियो ऑल्टो मादरे डी डिओस नदी के तट पर बलुआ पत्थर में मिला। पत्थर से इसे अलग करने के लिए शोधकर्ताओं ने पत्थरों के टुकड़ों को खोदकर उन्हें बोरों में डाला और पानी में भीगने के लिए छोड़ दिया। बाद में पत्थरों में दफन हुए जीवाश्म (दांतों, जबड़ों और हड्डियों के टुकड़ों) को छानकर उससे अलग कर लिया। इस दौरान शोधकर्ताओं की टीम को बंदर के दांत समेत चूहे, चमगादड़ और अन्य कई जानवरों के जीवाश्म मिले, जिनका कुल वजन 2000 पाउंड (लगभग 1 किलोग्राम) था।
ड्यूक यूनिवर्सिटी में इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफेसर रिचर्ड के ने कहा कि बंदर का यह जीवाश्म मुर्गी के दांतों जैसा ही दुर्लभ है। इसके ऊपरी दाढ़ का आकार एक पिन के सिरे का दोगुना था। उन्होंने कहा कि पुरातत्वविज्ञानी बंदर के दांतों, विशेष रूप से दाढ़ के बारे में बहुत कुछ बता सकते हैं। दांत के आकार के आधार पर शोधकर्ताओं को लगता है कि यह जानवर ऊर्जा के लिए भरपूर फलों और कीड़ों का भोजन करते होंगे। इसका वजन आधे पाउंड से भी कम रहा होगा, जो एक बेसबॉल से थोड़ा भारी होता है। दक्षिणी अमेरिका में पाए जाने वाले हॉलेयर और मुरीक्सि जैसे कुछ बड़े बंदर इनसे लगभग 50 गुना ज्यादा बड़े होंगे। के ने कहा कि अब तक दुनियाभर में पाए गए बंदरों के जीवाश्मों से में यह सबसे छोटा जीवाश्म है।शोधकर्ताओं ने अब इन जीवाश्मों को पेरू की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ पिउरा के संग्रहालय में रख दिया है, जहां शोधकर्ताओं इनका अध्ययन कर बंदरों के विकास का पता लगाएंगे। माना जाता है कि लगभग 40 मिलियन साल पहले दक्षिण अफ्रीका से बंदर दक्षिण अमेरिका में प्रवास कर गए थे। आज बंदरों की अधिकांश प्रजातियां अमेजन के वर्षावन में निवास करती हैं।